Monday, May 26, 2014

सन्नाटा



सोता हूँ भूखे पेट और
सपनो में भी बिलखिलाता
मेरा नाम है सन्नाटा और
मुझे बोलना नहीं आता

करता हूँ दिन भर चाकरी और
थककर भी रुकना नहीं आता
मेरा नाम है सन्नाटा और
मुझे बोलना नहीं आता

बच्चे बीवी में अरमान गुम गये
और मुझे कुछ नज़र नहीं आता
मेरा नाम है सन्नाटा और
मुझे बोलना नहीं आता

















पढ़ाई लिखाई ताबड़तोड़ ज़ारी है
ज़िंदगी का मकसद समझ नहीं आता
मेरा नाम है सन्नाटा और 
मुझे बोलना नहीं आता

घर में रोटियाँ पकाती हूँ
मेरा दिल कुछ और पकाता
मेरा नाम है सन्नाटा और
मुझे बोलना नहीं आता

घर में बैठकर बारिश देखता हूँ
मन है फिर भी बाहर नहीं जाता
मेरा नाम है सन्नाटा और
मुझे बोलना नहीं आता

ग़रीब हूँ बस पेट दिखता है
दिहाड़ी में दिन है गुज़र जाता
मेरा नाम है सन्नाटा और
मुझे बोलना नहीं आता

नज़रें मुझे हवस से घूरती हैं
कोई मुझे छेड़ता,कोई ताने सुनाता
मेरा नाम है सन्नाटा और
मुझे बोलना नहीं आता

अरमानों के मौसम बदलते हैं
मैं कदम नहीं बढ़ाता
मेरा नाम है सन्नाटा और
मुझे बोलना नहीं आता

------अमृत