सोता हूँ भूखे पेट और
सपनो में भी बिलखिलाता
मेरा नाम है सन्नाटा और
मुझे बोलना नहीं आता
करता हूँ दिन भर चाकरी और
थककर भी रुकना नहीं आता
मेरा नाम है सन्नाटा और
मुझे बोलना नहीं आता
मुझे बोलना नहीं आता
बच्चे बीवी में अरमान गुम गये
और मुझे कुछ नज़र नहीं आता
मेरा नाम है सन्नाटा और
मुझे बोलना नहीं आता
ज़िंदगी का मकसद समझ नहीं आता
मेरा नाम है सन्नाटा और
मुझे बोलना नहीं आता
घर में रोटियाँ पकाती हूँ
मेरा दिल कुछ और पकाता
मेरा नाम है सन्नाटा और
मुझे बोलना नहीं आता
घर में बैठकर बारिश देखता हूँ
मन है फिर भी बाहर नहीं जाता
मेरा नाम है सन्नाटा और
मुझे बोलना नहीं आता
ग़रीब हूँ बस पेट दिखता है
दिहाड़ी में दिन है गुज़र जाता
मेरा नाम है सन्नाटा और
मुझे बोलना नहीं आता
नज़रें मुझे हवस से घूरती हैं
कोई मुझे छेड़ता,कोई ताने सुनाता
मेरा नाम है सन्नाटा और
मुझे बोलना नहीं आता
अरमानों के मौसम बदलते हैं
मैं कदम नहीं बढ़ाता
मेरा नाम है सन्नाटा और
मुझे बोलना नहीं आता
------अमृत