Thursday, April 23, 2015

करीब था की दूर


कहती कोई कहानी
करता कोई काम 
कहना करना कैसा (क)
किया करता कलाम

रोती रही रात 
रोशनी रही रूठी
रचती रही रुनझुनें (र)
रीझती रही रोटी

इक इमारत इटों-की
इक इश्क़-ए इज़हार
इक इम्तेहान इरादतन (ई)
इतना इससे इशरार

बैठा बैठा बुझता
बढ़ता बल बलवान
बहना बैठे बैठे (ब)
बुनता बन बेनाम

थकता था थोड़ा 
थिरकन थमी थी
थूकता था थक्के (थ)
थल-में थरी थी

आता अभी अतीत 
आता अब आभाष
आना आके आलिंगन (आ)
आभा अमृत आकाश

क्रूर कर्म का किस्सा
कितना कठिन कयास
कहता करके कुंठित (क)
कच्चा कैसे कपास

इक्षाएँ इतनी इकट्ठी
इठलाते इतने इंसान
इनायत इक इंच इतनी (ई)
इतना-सा इसका ईनाम

दूर दूर दस्तक
दर दर्रा दरवाज़े
दिल दिक्कत दिल्लगी (द)
दम देते,दरकाते

उँचा उसका उठना 
उड़ान उर्जा उन्माद
उसकी उलझी उलझनें (ऊ)
उन्स उसकी उस-रात

रुकती रीस्ती रात
रूबरू राहे रसूल
रूह रिझाता रहनुमा (र)
करीब था की दूर

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